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दुर्गा पूजा पर भाषण माँ दुर्गा की दिव्य शक्ति का जश्न

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दुर्गा पूजा पर भाषण विषय: माँ दुर्गा की दिव्य शक्ति का जश्न आदरणीय शिक्षकगण, प्यारे साथियों और सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, आज हम सब यहां माँ दुर्गा के पावन पर्व दुर्गा पूजा मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह पर्व न केवल हमारे लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। माँ दुर्गा, शक्ति की देवी हैं, जो हमें बुराई से लड़ने और सदाचारी जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं जो बुराई का नाश करने का प्रतीक हैं। माँ दुर्गा हमें यह सिखाती हैं कि हमें हमेशा सत्य और न्याय के लिए लड़ना चाहिए। दुर्गा पूजा के दौरान हम माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं की पूजा करते हैं। इन प्रतिमाओं को सजाने में हमारी कला और संस्कृति झलकती है। पंडालों में हम विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जैसे कि ढाक की थाप, मांडलीन, और लोक नृत्य। ये कार्यक्रम हमारे समाज को एकजुट करते हैं और हमारी संस्कृति को जीवंत रखते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान हम सिर्फ पूजा ही नहीं करते, बल्कि हम अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ म

बातूनी चिड़िया टुनटुन | बच्चों की कहानियां

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बातूनी चिड़िया टुनटुन ए क बार की बात है, एक पेड़ पर एक छोटी सी चिड़िया रहती थी। उसका नाम था टुनटुन। टुनटुन बहुत ही बातूनी चिड़िया थी। वह दिन भर गाती रहती थी और हर किसी से बातें करती रहती थी। एक दिन, टुनटुन जंगल में घूम रही थी। तभी उसने एक बूढ़े कौवे को देखा। कौवा बहुत उदास लग रहा था। टुनटुन उसके पास गई और पूछा, "आप इतने उदास क्यों लग रहे हैं?" कौवे ने बताया, "मैं बहुत दिनों से उड़ नहीं पा रहा हूँ। मेरी पंख टूट गए हैं।" टुनटुन ने कौवे को दिलासा दिया और कहा, "चिंता मत कीजिए। मैं आपको डॉक्टर बंदर के पास ले चलती हूँ। वह आपको जल्दी ठीक कर देगा।" टुनटुन कौवे को डॉक्टर बंदर के पास ले गई। डॉक्टर बंदर ने कौवे के पंखों का इलाज किया और कुछ दिनों में ही कौवा फिर से उड़ने लगा। कौवा बहुत खुश हुआ और टुनटुन को धन्यवाद दिया। इसके बाद से, टुनटुन जंगल की सबसे लोकप्रिय चिड़िया बन गई। हर कोई उसकी बातें सुनना पसंद करता था। टुनटुन हमेशा दूसरों की मदद करती थी और सभी से दोस्ती करती थी। कहानी का संदेश: दोस्ती की कीमत: टुनटुन ने कौवे की दोस्ती की और उसकी मदद की। इससे हमें यह सीख

दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं 2024

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दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं 2024 द शहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर, हम आपके लिए कुछ रोचक शुभकामना संदेश लेकर आए हैं: रावण को हराने वाले राम की तरह, आप भी अपने जीवन के हर रावण को हरा दें। दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएं! विजयादशमी का त्योहार हो या जिंदगी का कोई और मोड़, हमेशा जीत आपकी ही हो। शुभकामनाएं! अधर्म पर धर्म की जीत का जश्न मनाते हुए, आइए हम सभी अपने अंदर के रावण को जलाएं और एक नए जीवन की शुरुआत करें। दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं! राम जी की बाणों की तरह, आपकी हर मुश्किल दूर हो जाए। दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएं! दशहरा का त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई हमेशा अस्थायी होती है। आइए इस पावन अवसर पर अपने जीवन में सकारात्मकता लाएं। दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर, आइए हम सभी अपने मन के रावण को जलाकर, अपने जीवन में सकारात्मकता और प्रकाश लाएं। आपको और आपके परिवार को दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएं! इस अवसर पर कुछ खास संदेश: अधर्म पर धर्म की जीत का जश्न मनाएं। अपने अंदर के रावण को जलाएं और एक नए जीवन की शुरुआ

आकाशगंगा: ब्रह्मांड का एक अद्भुत नजारा

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आकाशगंगा: ब्रह्मांड का एक अद्भुत नजारा आ काशगंगा, यानी हमारी मिल्की वे, एक विशाल तारों का समूह है जिसमें हमारा सौर मंडल भी शामिल है। यह एक सर्पिल आकार की आकाशगंगा है और अरबों तारों, गैस और धूल के बादलों से बनी है। आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल स्थित है जो अपनी शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल से सभी तारों को अपनी ओर खींचता रहता है। आकाशगंगा की संरचना आकाशगंगा की संरचना काफी जटिल है। इसे हम निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैं: केंद्र: आकाशगंगा का केंद्र सबसे घना भाग होता है। यहां तारों की संख्या बहुत अधिक होती है और इनका घनत्व भी अधिक होता है। डिस्क: आकाशगंगा की डिस्क एक चपटी चक्र जैसी होती है। इस डिस्क में सर्पिल भुजाएं होती हैं जिनमें युवा तारे और गैस के बादल पाए जाते हैं। हलो: आकाशगंगा की डिस्क के चारों ओर एक विस्तृत हलो होता है। इस हलो में पुराने तारे और ग्लोब्युलर क्लस्टर पाए जाते हैं। आकाशगंगा के बारे में रोचक तथ्य आकार: आकाशगंगा का व्यास लगभग 1 लाख प्रकाश वर्ष है। यानी अगर हम प्रकाश की गति से यात्रा करें तो हमारी आकाशगंगा को पार करने में हमें 1 लाख साल लग

भूतिया बिल्ली का खोया हुआ खिलौना | बच्चों की कहानियाँ

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भूतिया बिल्ली का खोया हुआ खिलौना ए क बार की बात है, एक छोटी सी बिल्ली थी जिसका नाम था म्यू। म्यू बहुत ही शरारती बिल्ली थी और उसे खेलना बहुत पसंद था। उसके पास एक खूबसूरत लाल गेंद थी, जिसके साथ वह दिन भर खेलती रहती थी। एक दिन, म्यू अपने घर के बगीचे में खेल रही थी। अचानक, उसकी गेंद एक बड़े से पेड़ के नीचे गिर गई। म्यू गेंद को लेने पेड़ के नीचे गई, लेकिन गेंद तो वहां थी नहीं! उसने चारों ओर देखा, लेकिन गेंद कहीं नहीं मिली। म्यू बहुत उदास हो गई। तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी, "क्या तुम अपनी गेंद ढूंढ रही हो?" म्यू ने ऊपर देखा तो एक छोटा सा भूत बैठा हुआ था। भूत का रंग नीला था और उसके पास एक टोपी थी। म्यू डर गई, लेकिन फिर उसने सोचा कि शायद भूत उसे गेंद ढूंढने में मदद कर सकता है। उसने भूत से पूछा, "क्या तुम मेरी गेंद देखी है?" भूत ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ, मैंने तुम्हारी गेंद देखी है। वह एक पुराने कुएं में फंस गई है।" म्यू बहुत खुश हुई और भूत के साथ कुएं की तरफ भागी। कुएं के पास जाकर भूत ने अपनी जादुई छड़ी से कुएं में झांका और म्यू की गेंद को बाहर निकाल लिया। म्यू बहुत

कोलकाता की दुर्गा पूजा दुनिया भर में प्रसिद्ध है

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कोलकाता की दुर्गा पूजा यात्रा: एक विस्तृत गाइड को लकाता की दुर्गा पूजा दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जो पूरे शहर को रंगों में रंग देता है. अगर आप भी इस साल कोलकाता की दुर्गा पूजा का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है. यात्रा की योजना कैसे बनाएं? 1. कब जाएं: सबसे अच्छा समय: दुर्गा पूजा आमतौर पर सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में मनाया जाता है. भीड़: अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं, तो आप पंडालों को दिन में देख सकते हैं. शाम को पंडालों में काफी भीड़ होती है. 2. कहां ठहरें: होटल: कोलकाता में कई तरह के होटल उपलब्ध हैं, बजट होटल से लेकर लक्जरी होटल तक. गेस्ट हाउस: अगर आप बजट में यात्रा कर रहे हैं, तो आप गेस्ट हाउस भी बुक कर सकते हैं. एयरबीएनबी: आप एयरबीएनबी पर भी अपार्टमेंट या कमरा किराए पर ले सकते हैं. 3. कैसे पहुंचें: हवाई जहाज: कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. ट्रेन: आप ट्रेन से भी कोलकाता पहुंच सकते हैं. हावड़ा और सेल्ट लेक स्टेशन कोलकाता के

मिस्र के पिरामिड: इतिहास का एक रहस्य

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मिस्र के पिरामिड: इतिहास का एक रहस्य मि स्र के पिरामिड दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमयी संरचनाओं में से एक हैं। ये विशाल पत्थरों से बने पिरामिड प्राचीन मिस्रवासी फराओ के मकबरे के रूप में बनाए गए थे। आज भी ये पिरामिड इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए एक पहेली बने हुए हैं। पिरामिडों का निर्माण मिस्र के पिरामिडों का निर्माण प्राचीन मिस्र के चौथे राजवंश के दौरान शुरू हुआ था। इन विशाल संरचनाओं को बनाने में हजारों मजदूरों ने कई सालों तक कड़ी मेहनत की होगी। पिरामिडों को बनाने के लिए विशाल पत्थरों को दूर-दूर से लाया जाता था और फिर इन्हें एक-दूसरे पर रखकर पिरामिड का आकार दिया जाता था। पिरामिडों के निर्माण से जुड़े कुछ रोचक तथ्य: पत्थरों का वजन: पिरामिडों में इस्तेमाल होने वाले पत्थरों का वजन कई टन तक होता था। इन पत्थरों को इतनी ऊंचाई तक ले जाना एक बड़ी चुनौती रही होगी। सटीकता: पिरामिडों का निर्माण अत्यंत सटीकता के साथ किया गया था। पिरामिडों के चारों तरफ की दीवारें लगभग बराबर लंबाई की हैं और पिरामिडों की चारों भुजाएं लगभग उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशा में हैं। उद्देश्य: पिरामिडो

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