जब बर्तन बिकेंगे, तब खाने का इंतजाम होगा लोहार समुदाय के संघर्ष और अस्तित्व की कहानी अ रावली की पहाड़ियों के बीच बसा अजमेर, राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में अपनी एक खास जगह रखता है. यह शहर केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि धार्मिक रूप से भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण रखता है. यहां ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर पुष्कर में स्थित है, वहीं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर को आध्यात्मिकता का केन्द्र बनाती है. हर साल यहां लगने वाले पुष्कर मेले और उर्स के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे स्थानीय व्यवसायियों को अच्छी कमाई का अवसर मिलता है. इन्हीं व्यवसायियों में लोहार समुदाय के वे परिवार भी शामिल हैं, जो लोहे और एल्युमिनियम के बर्तनों को बेचकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. इन्हीं में एक 70 वर्षीय कमला गड़िया है जो अपनी बेटी आशा के साथ दरगाह जाने वाली सड़क के किनारे बर्तनों की छोटी-सी दुकान लगाती है. उनके लिए यह केवल एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि पीढ़ियों से चला आ रहा पारंपरिक काम भी है. जिसे वह अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहती हैं. कमला बताती हैं कि, ...
मनुष्य प्रभाव से प्रभावित होता अच्छा बुरा बर्ताव करता म नुष्य हमेशा भाव में रहता मनुष्य अभाव में आकर स्वभाव बदलता मनुष्य प्रभाव से प्रभावित होता अच्छा बुरा बर्ताव करता दुर्भाव पालता मनुष्य दुर्भाव से सबका अहित कर देता मनुष्य किसी न किसी प्रभाव से अपना स्वभाव हावभाव में बदलाव करता! मनुष्य में मनुष्यता का सर्वोत्तम भाव अबतक नहीं जगा मनुष्य ने मनुष्य में जाति धर्म की दीवार खड़ा करके स्वयं को ठगा मनुष्य को मनुष्य बनाने का प्रयास ‘मनुर्भवः’ बहुत किया गया किन्तु मनुष्य ने मनुष्य बनने का गुण अबतक नहीं जुटा पाया! मनुस्मृति के ‘अतिथि देवो भवः’ का प्रभाव ये कि सनातनी अतिथि का आवभगत करते बड़े ही चाव से ‘सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम्’ के प्रभाव से सनातनी मनुष्य सत्य बोलता पर असत्य छिपाता कोर्ट में झूठी गवाही देता! ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ का प्रभाव ऐसा है कि सनातन धर्म में पराई नारी माँ बहन बेटी समझी जाती माता फिर ...