मनुष्य प्रभाव से प्रभावित होता अच्छा बुरा बर्ताव करता म नुष्य हमेशा भाव में रहता मनुष्य अभाव में आकर स्वभाव बदलता मनुष्य प्रभाव से प्रभावित होता अच्छा बुरा बर्ताव करता दुर्भाव पालता मनुष्य दुर्भाव से सबका अहित कर देता मनुष्य किसी न किसी प्रभाव से अपना स्वभाव हावभाव में बदलाव करता! मनुष्य में मनुष्यता का सर्वोत्तम भाव अबतक नहीं जगा मनुष्य ने मनुष्य में जाति धर्म की दीवार खड़ा करके स्वयं को ठगा मनुष्य को मनुष्य बनाने का प्रयास ‘मनुर्भवः’ बहुत किया गया किन्तु मनुष्य ने मनुष्य बनने का गुण अबतक नहीं जुटा पाया! मनुस्मृति के ‘अतिथि देवो भवः’ का प्रभाव ये कि सनातनी अतिथि का आवभगत करते बड़े ही चाव से ‘सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम्’ के प्रभाव से सनातनी मनुष्य सत्य बोलता पर असत्य छिपाता कोर्ट में झूठी गवाही देता! ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ का प्रभाव ऐसा है कि सनातन धर्म में पराई नारी माँ बहन बेटी समझी जाती माता फिर ...
बसंत पंचमी का महत्व इन हिंदी ब संत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विद्या, संगीत, कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इसे सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है। यह ऋतु प्रकृति के नवजीवन और उल्लास का प्रतीक है। खेतों में सरसों के पीले फूल, आम के पेड़ों पर बौर और मधुर हवाएं बसंत के आगमन की सूचना देती हैं। सरस्वती पूजा के दिन विद्यार्थी, कलाकार और बुद्धिजीवी मां सरस्वती की आराधना करते हैं। माना जाता है कि मां सरस्वती की कृपा से ही ज्ञान, विवेक और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों और वाद्ययंत्रों की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को पीले फूल, माला और वस्त्रों से सजाया जाता है। पीला रंग बसंत ऋतु और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन पीले वस्त्र पहनने और पीले व्यंजन बनाने की परंपरा है। बसंत पंचमी का महत्व केव...